इश्क़ ज़हर है: जज़्बातों की मौत

By Mukesh Kumar

प्रस्तुत काव्यांजलि “इश्क ज़हर है:– जज़्बातों की मौत” में इश्क़, इश्क़ की तामीर, इश्क़ की गति, इश्क़ की मार, इश्क़ में रुसवाई, इश्क़ में बेवफ़ाई, इश्क़ में जज़्बातों की मौत को बख़ूबी दर्शाने का कार्य किया गया है।

About the Author

मुकेश कुमार का जन्म करनाल जिले के छोटे से गाँव में हुआ जो कि भारत देश में स्थित राज्य, हरियाणा के करनाल जिले में आता है। विद्यालयी शिक्षा इन्होंने गाँव से प्राप्त की और परा–स्नातकोत्तर (एम. ए. अंग्रेज़ी) की शिक्षा भारत के पवित्र धार्मिक स्थल कुरुक्षेत्र में स्थित विश्विद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्राप्त की।

जब ये (एम. ए. अंग्रेज़ी) में पढ़ रहे थे तब इन्हें जॉन कीट्स की कविताएं पढ़ने का बड़ा चाव था जिसकी वजह से इनके सहपाठी और प्राध्यापक इन्हें मुकेश जॉन कीट्स कहकर पुकारने लगे जिसकी छाप इनकी कविताओं में दर्द और एकांत के रूप में देखी जा सकती है।

वर्तमान में मुकेश कुमार, सहायक प्राध्यापक (अंग्रेज़ी) के रूप में नियमित रूप से कार्यरत है। सरकारी सेवा में आने से पहले इनका चयन संग लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली के माध्यम से पुद्दुचेरी में “प्रथम श्रेणी” पद पर हुआ था लेकिन पारिवारिक वजहों से वहाँ नहीं जा पाए। इन्होंने शोध–पत्र, सेमिनार आदि में भाग लिया है।

इनका एक शोध–पत्र लंदन जर्नल प्रेस, ब्रिटेन में स्वीकृत है। इनकी पहली पुस्तक, “मोहब्बत:– दर्दों की दवा” पहले से ही बाज़ार में उपलब्ध है। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। इनका मानना है कि जो भी आप लिखो, दिल से लिखो लेकिन स्वच्छ लिखो। जब दर्द/हिज़्र/हूक इनके दिल में जगती है तो ये कहते है कि:–“एक नागिन जैसे मेरे जिस्म से लिपट रही है, दूर ही रहो वो मेरी नस नस को चूस रही है।”

About the book

प्रस्तुत काव्यांजलि “इश्क ज़हर है:– जज़्बातों की मौत” में इश्क़, इश्क़ की तामीर, इश्क़ की गति, इश्क़ की मार, इश्क़ में रुसवाई, इश्क़ में बेवफ़ाई, इश्क़ में जज़्बातों की मौत को बख़ूबी दर्शाने का कार्य किया गया है।

जब बात होती है इश्क़ में मर–मिटने की तो कवि कहता है:–

“तेरी साँसों से फिज़ाओं में बिखर जाऊँ
तेरी बातों से खिज़ाओं में सहर जाऊँ
मैं कोई तिलस्मी जादूगर तो नहीं हूँ
हाँ मगर तेरे बिना प्यासा ही मर जाऊँ।”

साँसों को जैसे जीवन का रहस्य माना गया है और जहाँ तिशनगी का ज़िक्र होता है वहाँ तो कवि और ज़्यादा पागल हो जाता है; इश्क़ की प्यास ही ऐसी है जो न चाहते हुए इंसान को लपेट लेती है, ये असाक की बेल की तरह है जो पूरी तरह से इंसान को चूस लेती है और बाद में उसकी हालत एक मरीज़ जैसी हो जाती है। जहाँ इश्क़ नहीं होता वहाँ रिश्ता जिस्मानी होता है, रूहानी इश्क़ गायब होता है, शैदाई तो वो होता है जो ख़ामोशी में रोता है, आँखें झुका के शरीक–ए–ग़म में मुस्कुराहट से ग़म में अँधेरे में डूब जाता है। 

यह इश्क़ की दुनिया बहुत ज़ालिम है जो ख़्वाब दिखाती है, ख़्यालों में ले जाती है, रातों की नींद चुरा ले जाती है, सुबह को दर्द दे जाती है, दोपहर को विरह में सताती है और शाम को चेहरे की लाली ले जाती है। इश्क़ की वहशत में हिज़्र रुलाए, दिल और कलेज़े निकाल ले जाए तो ऐसे में क्या करे? फिर कवि कहता है:–

“मैं मर रहा हूँ
मैं जल रहा हूँ
हसरत में लूटा हूँ
वहशत में लिपटा हूँ।”

जब इंसान मुहब्बत में पूरी तरह बेवफ़ा से चोट खा लेता है तो उसकी याद में कल्पना के घोड़े दौड़ाता है और कहता है:–

“कितने तेज़ भागते होंगे कितने मुस्कुराते होंगे जाने कैसे लफ़ंगे होंगे जो उसके पास आते होंगे।”

मुहब्बत ऐसी चीज़ है जिसको हो जाए तो पर हो जाए और जो धोखा खा जाए तो उसके अरमान लुट जाए, हसरत मर जाए, पागलों की स्थिति में जीवन नरक बन जाए। मुहब्बत में जब दर्द मिलता है तो इंसान की हालत मौत से बदत्तर हो जाती है, न वो जी पाता और न ही मर पाता, एक जगह वो कहता है:–

“यूँ फ़िराक में उसके और तो ज़्यादा क्या होता होगा
यूँ ही मेरे गाल हैं गीले और गीले हो जाते होंगे।”

जब आपकी ज़िंदगी अच्छे से चल रहे होती है तो लोगों को ताज़्जुब होता है, ईर्ष्या होती है, वो नहीं चाहते कि आप चैन से रहे, चैन से जिए, उनका मक़सद सिर्फ़ और सिर्फ़ दो प्यार करने वालों के बीच दरार लाना होता है और जब वो कामयाब हो जाते हैं तो तब भी उनको चैन नहीं पड़ता, वो चाहते है कि आप पूरी तरह बर्बाद हो जाए तो ऐसी अवस्था में कवि कहता है:–

“मेरे मरने के बाद कुछ तो रोएँगे कुछ हसेंगे
यानी मेरे मरने के बाद भी जी लिए जाते होंगे।”

ये जीवन की सच्चाई है। लोगों का काम दूसरों के घरों में आग लगाना ही है। हालांकि कवि ने इसमें प्रेमिका के गहरे प्यार, उसकी वफ़ादारी, उसकी सघनता, उसकी परवाह को भी दर्शाने का कार्य किया है। कुल मिलाकर इस काव्यांजलि में इश्क़ की सच्चाई, इश्क़ की मासूमियत, इश्क़ की प्रासंगिकता, इश्क़ की नज़ाकत, इश्क़ की वहशत और जज़्बातों का क़त्ल बहुत अच्छे से उकेरने का कार्य किया गया है बाकि जब आप ग़ज़ल, नज़्म, रूबाई और शेरों–शायरी पढ़ेंगे तो आपको ख़ुद–ब–ख़ुद अंदाज़ा हो जाएगा कि इश्क़ क्या है और जज़्बातों की मौत कैसी होती है!

मेरी पहली पुस्तक “मोहब्बत:–दर्दों की दवा” पहले से ही बाज़ार में उपलब्ध है। मैंने इस पुस्तक में मौलिकता, सरलता और उर्दू के अल्फ़ाज़ प्रयोग किए है, कुछ कठिन शब्द है लेकिन उनके अर्थ रचना के नीचे दिए गए हैं।

इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत कृपया अपनी टिप्पणियाँ और प्रतिक्रियाएं अवश्य दे। उम्मीद करता हूँ कि ये पुस्तक आपको पसंद आएगी!

आपका अपना
मुकेश कुमार

Other Details

Total Pages

176 Pages

Publication Date

14 January 2024

Publisher

Bluerose Publishers Pvt. Ltd.

Reading Age

13 years and up

Book is available on

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